कारगिल युद्ध (Kargil War) भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 मई से जुलाई तक कश्मीर के कारगिल जिले में एक संघर्ष था। यह भारत और पाकिस्तान के बीच महत्वपूर्ण सशस्त्र संघर्ष था। युद्ध का कारण दो देशों के बीच कश्मीर क्षेत्र में विवादित क्षेत्र पर लम्बे समय से चल रहे तनाव का एक परिणाम था। पाकिस्तान के सैनिकों और आतंकवादियों का भारतीय नियंत्रण में सैन्य तत्कालीन क्षेत्र में प्रवेश करने से युद्ध की शुरुआत हुई। यह पाकिस्तान का उद्देश्य था कि यह क्षेत्र की स्थिति बदले और कश्मीर में लाइन ऑफ़ कंट्रोल (Line of Control - LoC) के लिए महत्वपूर्ण स्थानों को अपने कब्जे में ले ले।
भारतीय सेना इन्हें चौंका देने का सामना करना पड़ा, क्योंकि पाकिस्तानी सैन्य ने लाइन ऑफ़ कंट्रोल के भारतीय तट पर मुख्य पूर्वाधिकारियों पर कब्जा कर लिया था। कठोर भू-भाग और कठिन मौसमी स्थितियाँ दोनों पक्षों के लिए युद्ध को विशेष रूप से कठिन बनाती थीं। भारतीय सैन्य ने पाकिस्तानी सेना को इस भारतीय तट से बाहर निकालने के लिए एक मुख्य सैन्य अभियान चलाया।
कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना और पाकिस्तान वायु सेना के बीच एयरियल युद्ध, भू-युद्ध और तोपगाड़ी युद्ध की गर्मी थी। सबसे महत्वपूर्ण वायु युद्ध में से एक था भारतीय MiG-21 विमानों के द्वारा पाकिस्तानी F-16 को मार गिराने का हुआ था, जिससे भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वार्थमान का कैद हो गया था। उनके कैद हो जाने से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
कारगिल युद्ध को अंतर्राष्ट्रीय ध्येय और राजनैतिक संलग्नता के साथ ध्यान में रखा गया था, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की। जुलाई 1999 में, अंतर्राष्ट्रीय दबाव और सैन्य पराजय के चलते पाकिस्तान ने अंततः स्वीकार किया कि वह भारतीय तट से अपने सैन्य को वापस खींचेगा, जिससे युद्ध का अंत हुआ।
कारगिल युद्ध ने दोनों तरफ़ पर महत्वपूर्ण युद्धप्रियों को उत्पन्न किया और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए विदेशी राजनयिक संलग्नता को जोर दिया। यह युद्ध भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चिन्हित प्रभाव डाला और वे क्षेत्र में उनके बीच के संवाद को प्रभावित करता है।